पोषण अभियान 2023- जिसे राष्ट्रीय पोषण मिशन (National Nutrition Mission) भी जाना जाता है। भारत सरकार की एक प्रमुख उद्देश्य देश में कुपोषण की समस्या का समाधान करता है। यह अभियान 8 मार्च 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा झुंझुनू, राजस्थान में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य 2022 तक बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण स्तर में सुधार करना है, ताकि कुपोषण, एनीमिया, स्टंटिंग (अवरुद्ध वृद्धि), और अन्य पोषण संबंधित समस्याओं को कम किया जा सके।
पोषण अभियान 2023 का उद्देश्य –
पोषण अभियान 2023 का मुख्य उद्देश्य भारत में कुपोषण की दर को घटाना और बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण स्तर में सुधार करना है। इस अभियान का लक्ष्य 2022 तक कुपोषण की दर को 2% प्रति वर्ष कम करना है, साथ ही बच्चों में स्टंटिंग और अवरुद्ध वृद्धि की दर को 6% प्रति वर्ष कम करना है। इसके अतिरिक्त, एनीमिया (रक्ताल्पता) की दर को भी गर्भवती महिलाओं और बच्चों में 3% प्रति वर्ष कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
भारत जैसे बड़े और विविधतापूर्ण देश में कुपोषण की समस्या का समाधान केवल सरकार की पहल से संभव नहीं है। इसके लिए समाज के सभी वर्गों का सहयोग आवश्यक है। पोषण अभियान इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले समय में भारत को कुपोषण मुक्त बनाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
पोषण अभियान के मुख्य घटक –
पोषण अभियान के तहत कई महत्वपूर्ण घटक शामिल किए गए हैं, जिनका उद्देश्य पोषण स्तर में सुधार और कुपोषण की समस्या का समाधान करना है। ये घटक निम्नलिखित हैं-
1. जागरूकता अभियान –
समुदाय में पोषण के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को संतुलित आहार, स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्रदान की जाती है। पोषण मेला, पोषण रैली, और पोषण पाठशाला जैसी गतिविधियों के माध्यम से समुदाय को जागरूक किया जाता है।
2. स्वच्छता और स्वास्थ्य –
स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं का पोषण के साथ गहरा संबंध है। पोषण अभियान के तहत, स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। समुदाय में स्वच्छता के महत्व को समझाया जाता है, ताकि बच्चों में संक्रामक रोगों की रोकथाम की जा सके और उनका पोषण स्तर बेहतर हो सके।
3. कुपोषण मुक्त गांव –
पोषण अभियान के तहत, गांवों को कुपोषण मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए गांव स्तर पर पोषण की निगरानी, पोषण सप्लीमेंट्स का वितरण, और स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
4. इंटरवेंशन कार्यक्रम –
गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न हस्तक्षेप कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इनमें पोषण सप्लीमेंट्स का वितरण, नियमित टीकाकरण, आयरन और फोलिक एसिड की गोलियों का वितरण, और पोषण शिक्षा शामिल हैं। आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से इन सेवाओं को प्रदान किया जाता है।
5. डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग –
पोषण अभियान में डिजिटल टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके तहत, गर्भवती महिलाओं और बच्चों की पोषण स्थिति को ट्रैक करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाता है। पोषण संबंधी आंकड़ों का संग्रह और विश्लेषण डिजिटल रूप से किया जाता है, जिससे योजनाओं का प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन किया जा सके।
6. सामुदायिक भागीदारी –
इस अभियान में सामुदायिक भागीदारी पर विशेष जोर दिया गया है। स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से महिलाओं और किशोरियों को इस अभियान में सक्रिय रूप से शामिल किया जाता है। इसके माध्यम से न केवल पोषण स्तर में सुधार किया जाता है, बल्कि समुदाय के लोगों को आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रेरित किया जाता है।
पोषण अभियान के परिणाम –
पोषण अभियान के माध्यम से देश में कुपोषण की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया गया है। इसके परिणामस्वरूप, कई राज्यों में बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार देखा गया है। गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए पौष्टिक आहार और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाई गई है। इसके अलावा, पोषण संबंधी जागरूकता में भी वृद्धि हुई है, जिससे लोग अब अपने आहार और स्वास्थ्य के प्रति अधिक सचेत हो गए हैं।
पोषण अभियान के चुनौतियाँ –
हालांकि पोषण अभियान ने कुपोषण को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बरकरार हैं। इन चुनौतियों में शामिल हैं –
1. ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में सेवाओं का आभाव –
कई ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं की पहुंच में कमी है। इस वजह से, वहाँ के लोग पोषण अभियान के लाभों से वंचित रह जाते हैं।
2. सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएँ –
कई बार सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के कारण लोग पोषण संबंधी सलाहों को नहीं मानते। इसके चलते पोषण अभियान के प्रभाव को सीमित किया जा सकता है।
3. स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल की कमी –
कई स्थानों पर स्वच्छ पेयजल और उचित स्वच्छता सुविधाओं की कमी के कारण बच्चों में कुपोषण की समस्या बनी रहती है। इन समस्याओं का समाधान किए बिना पोषण अभियान के लक्ष्यों को प्राप्त करना कठिन हो सकता है।
4. बजट की सीमाएँ –
पोषण अभियान के लिए पर्याप्त बजट की आवश्यकता होती है। बजट की सीमाएँ अभियान की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकती हैं।
5. स्वास्थ्य कर्मियों की कमी –
पोषण अभियान को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए पर्याप्त संख्या में स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता होती है। लेकिन कई स्थानों पर स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के कारण अभियान के उद्देश्यों को प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
पोषण माह 2023 का विषय क्या है?
विकास मंत्रालय द्वारा सितंबर 2023 में छठा राष्ट्रीय पोषण माह मना गया था। इस वर्ष, उद्देश्य जीवन-चक्र दृष्टिकोण के माध्यम से कुपोषण से व्यापक रूप से निपटना है, जो मिशन पोषण 2.0 की आधारशिला है।
पोषण अभियान की शुरुआत कब हुई
पोषण अभियान की शुरुआत माननीय प्रधानमंत्री ने 8 मार्च, 2018 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में की थी।
पोषण अभियान किसकी योजना है?
भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और नीति आयोग द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जा रहा है।
पोषण अभियान में कौन सा राज्य प्रथम स्थान पर है?
पोषण अभियान को लागू करने करने में बड़े राज्यों में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात सबसे पहले लागू किया गया था।
पोषण दिवस कब मनाया जाता है?
हर साल 28 मई को विश्व पोषण दिवस मनाया जाता है।
पोषण माह की थीम क्या है?
पहली पोषण थीम वृक्षारोपण गतिविधि “पोषण वाटिका” के रूप में है और 1-7 सितंबर तक मनाया जाएगा।
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निष्कर्ष –
भारत में पोषण अभियान 2023 को समस्या का समाधान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस अभियान ने न केवल पोषण स्तर में सुधार किया है, बल्कि समुदाय में पोषण के महत्व के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई है। हालाँकि, चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं, लेकिन इनका समाधान करते हुए, पोषण अभियान को और भी प्रभावी बनाया जा सकता है।