पोषण अभियान (Poshan Abhiyaan) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। जिसका उद्देश्य देश के नागरिकों, विशेषकर बच्चों, गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, और किशोरियों के बीच पोषण स्तर को सुधारना है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य कुपोषण को समाप्त करना और बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को सुनिश्चित करना है।
पोषण अभियान का परिचय –
पोषण अभियान की शुरुआत 8 मार्च 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजस्थान के झुंझुनू जिले से की गई थी। इस अभियान को “राष्ट्रीय पोषण मिशन” (National Nutrition Mission) भी कहा जाता है। यह अभियान पोषण के सभी आयामों को पूरा करता है। विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से सम्पूर्ण दृष्टिकोण अपनाता है।
पोषण अभियान के प्रमुख उद्देश्य –
- शारीरिक वृद्धि में कमी – बच्चों में बौनापन और कम वजन की दर को कम करना।
- एनीमिया की दर में कमी – 15-49 वर्ष की महिलाओं, किशोरियों, गर्भवती और धात्री माताओं में एनीमिया की दर को 3% प्रति वर्ष की दर से कम करना।
- कुपोषण में कमी लाना – 2022 तक बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और धात्री माताओं में कुपोषण की समस्या को 2% प्रति वर्ष की दर से कम करना।
- बाल मृत्यु दर को कम करना – 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाना।
- कुपोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाना – समाज में पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना और लोगों को स्वस्थ आहार और जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना।
पोषण अभियान के तहत प्रमुख योजनाएँ –
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) – इस योजना के तहत पहली बार गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ताकि वे गर्भावस्था के दौरान पोषण का ध्यान रख सकें।
- आईसीडीएस (ICDS) योजना – इस योजना के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को पोषण सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसमें पूरक पोषण, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, और शिक्षा सेवाएं शामिल हैं।
- मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme) – इस योजना के तहत सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाता है। इसका उद्देश्य बच्चों में कुपोषण को कम करना और उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों को बढ़ावा देना है।
- राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम (NIDDCP) – इस योजना का उद्देश्य देश में आयोडीन की कमी के कारण होने वाले विकारों को रोकना और नियंत्रित करना है।
पोषण अभियान के प्रमुख घटक –
- पोषण सेवाओं का समन्वय– पोषण अभियान विभिन्न विभागों और मंत्रालयों जैसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय आदि के बीच समन्वय स्थापित करता है ताकि पोषण सेवाओं का प्रभावी कार्यान्वयन हो सके।
- तकनीकी और डिजिटल पहल अभियान के तहत ‘पोषण ट्रैकर’ जैसी डिजिटल तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जो आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को लाभार्थियों की निगरानी और डेटा संग्रह में सहायता करता है। इसके अलावा, मोबाइल एप्लिकेशन और वेब पोर्टल के माध्यम से सूचना और सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाया गया है।
- व्यवहार परिवर्तन संचार (BCC)– इस अभियान के तहत पोषण के प्रति समाज के दृष्टिकोण और व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके लिए सामुदायिक बैठकें, प्रशिक्षण कार्यक्रम, और मीडिया अभियानों का आयोजन किया जाता है।
- कुपोषण की निगरानी– पोषण अभियान के तहत कुपोषण की दर की निगरानी की जाती है और इसके आधार पर योजनाओं और नीतियों में आवश्यक बदलाव किए जाते हैं।
- पोषण पखवाड़ा और अन्य अभियान– हर साल 1 से 31 सितंबर तक ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्यम से पोषण के महत्व पर जोर दिया जाता है। इसके अलावा, ‘पोषण पखवाड़ा’ के दौरान भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
पोषण अभियान के लिए चुनौतियाँ –
- जागरूकता की कमी – ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में पोषण के प्रति जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती है। कई लोग उचित पोषण के महत्व को नहीं समझते हैं।
- सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएँ – समाज में कई ऐसे सामाजिक और सांस्कृतिक कारक हैं जो पोषण के लक्ष्यों को हासिल करने में बाधा बनते हैं। जैसे, लड़कियों को कम महत्व देना, गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त पोषण न मिलना आदि।
- लॉजिस्टिक समस्याएं – सूरदूर क्षेत्रों में पोषण सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा, आंगनवाड़ी केंद्रों की अपर्याप्त संख्या और सुविधाओं की कमी भी एक बड़ी समस्या है।
- समन्वय की कमी – विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के बीच समन्वय की कमी के कारण योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाता।
राष्ट्रीय पोषण नीति क्या है?
भारत सरकार ने कुपोषण के मुद्दे को दूर करने के लिए 1993 में राष्ट्रीय पोषण नीति को अपनाया। इसका उद्देश्य बच्चों, गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, और किशोरियों के बीच पोषण स्तर को सुधारना
पोषण अभियान कब शुरू किया गया था?
8 मार्च, 2018 को माननीय प्रधान मंत्री ने राजस्थान के झुंझुनू जिले में पोषण अभियान का शुभारंभ किया।
कुपोषण क्या है?
शरीर में पर्याप्त पोषक तत्वों की कमी। कुपोषण के कारण व्यक्ति को विटामिन,पोषक तत्वों और अन्य आवश्यक पदार्थों की कमी होती है, जिनके व्यक्ति कुपोषण के शिकार होता है।
पोषण क्या है?
पोषण – वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से हमारे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। जो हमारे शरीर के समुचित विकास, ऊर्जा और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। पोषण का मतलब है शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी आहार के विभिन्न तत्वों का संतुलित मात्रा में सेवन करना।
कुपोषण से होने वाले लोग कौन से हैं?
स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी और यहाँ तक कि अंधत्व भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं।
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निष्कर्ष –
पोषण अभियान भारत में कुपोषण से लड़ने और समाज के कमजोर वर्गों को स्वस्थ जीवन जीने का अवसर प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस अभियान की सफलता के लिए सरकार, गैर-सरकारी संगठन, और समाज के प्रत्येक सदस्य का सहयोग आवश्यक है। यदि हम इस अभियान के लक्ष्यों को प्राप्त कर लेते हैं, यह न केवल समाज के स्वास्थ्य में सुधार करेगा। बल्कि देश के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी गति देगा। इसलिए पोषण अभियान को सशक्त बनाना और इसके लक्ष्यों को प्राप्त करना हम सबकी जिम्मेदारी है।