दूध पिलाने वाली मां का भोजन बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसका सीधा असर माँ के स्वास्थ्य और शिशु के विकास पर पड़ता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अपने आहार में पर्याप्त पोषण तत्वों को शामिल करना चाहिए। ताकि वे अपनी ऊर्जा की जरूरतें पूरी कर सकें और शिशु को उच्च गुणवत्ता वाला दूध प्रदान कर सकें। दूध पिलाने वाली मां के लिए निम्न संतुलित आहार बनाए रखना चाहिए।
1. विटामिन D की आवश्यकता –
विटामिन D की पर्याप्त मात्रा हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। धूप में समय बिताने के अलावा, विटामिन D युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फोर्टिफाइड दूध, अंडे की जर्दी, और मछली का सेवन करना चाहिए।
2. प्रोटीन की आवश्यकता –
प्रोटीन शिशु की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक होता है। दूध पिलाने वाली मां को प्रतिदिन उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। प्रोटीन के अच्छे स्रोतों में अंडे, मछली, चिकन, दालें, बीन्स, नट्स, और डेयरी उत्पाद शामिल हैं।
3. कैलोरी और ऊर्जा की आवश्यकता –
दूध पिलाने वाली मां को गर्भावस्था के समय से भी अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए, उन्हें अतिरिक्त 300-500 कैलोरी प्रति दिन की आवश्यकता हो सकती है। यह अतिरिक्त कैलोरी स्वस्थ और संतुलित भोजन से प्राप्त करनी चाहिए, न कि जंक फूड से। फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों से ये कैलोरी प्राप्त की जा सकती हैं।
4. कैल्शियम की आवश्यकता –
कैल्शियम की आवश्यकता स्तनपान के दौरान और भी बढ़ जाती है, क्योंकि यह शिशु की हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक है। दूध, दही, पनीर, पत्तेदार हरी सब्जियाँ, और कैल्शियम-समृद्ध फोर्टिफाइड फूड्स जैसे सोया मिल्क अच्छे स्रोत हैं।
5. आयरन की आवश्यकता –
आयरन की कमी से माँ को थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है, जो स्तनपान के दौरान समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। आयरन के अच्छे स्रोतों में हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मांस, चिकन, मछली, बीन्स, और आयरन-फोर्टिफाइड अनाज शामिल हैं। विटामिन सी के साथ आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आयरन का अवशोषण बेहतर होता है।
6. फोलिक एसिड की आवश्यकता –
फोलिक एसिड शिशु के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फलियां, नट्स, और फोलिक एसिड-फोर्टिफाइड अनाज इसके अच्छे स्रोत हैं।
7. विटामिन एवं खनिज की आवश्यकता –
कभी-कभी भोजन से सभी आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करना संभव नहीं हो पाता। ऐसे में डॉक्टर से परामर्श लेकर मल्टीविटामिन या मिनरल सप्लीमेंट्स का सेवन किया जा सकता है।
8. पौष्टिक पदार्थ की आवश्यकता-
स्तनपान के दौरान मां के शरीर में पानी की मांग बढ़ जाती है। पर्याप्त मात्रा में पानी, जूस, और दूध का सेवन सुनिश्चित करना चाहिए। हर बार स्तनपान कराने के बाद एक गिलास पानी पीने की आदत डालना फायदेमंद हो सकता है।
9. ओमेगा-3 फैटी एसिड की आवश्यकता –
ओमेगा-3 फैटी एसिड, विशेष रूप से DHA, शिशु के मस्तिष्क और आंखों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। मछली जैसे सैल्मन और सार्डिन, अलसी के बीज, और अखरोट इसके अच्छे स्रोत हैं।
10. फाइबर की आवश्यकता –
फाइबर युक्त आहार कब्ज से बचाने में मदद करता है, जो प्रसव के बाद एक आम समस्या हो सकती है। साबुत अनाज, फल, सब्जियाँ, और फलियां फाइबर के अच्छे स्रोत हैं।
11. कुछ खाद्य पदार्थों से बचें –
कुछ खाद्य पदार्थ शिशु के लिए हानिकारक हो सकते हैं। शराब, कैफीन, और मर्करी-युक्त मछलियों का सेवन सीमित करना चाहिए। इसके अलावा, कुछ शिशुओं को कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी हो सकती है, जैसे कि दूध या सोया। यदि शिशु में कोई असामान्य प्रतिक्रिया दिखाई देती है, तो डॉक्टर से परामर्श लें।
12. पौष्टिक भोजन की आवश्यकता –
दूध पिलाने वाली मां को छोटे-छोटे अंतराल में भोजन करना चाहिए। दिन में 5-6 बार पौष्टिक भोजन का सेवन करें। इससे ऊर्जा स्तर बना रहेगा और मां को थकान एवं कमजोरी महसूस न हो।
निष्कर्ष
दूध पिलाने वाली मां का आहार शिशु और मां दोनों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्वस्थ, संतुलित और पौष्टिक आहार न केवल शिशु को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, बल्कि मां को भी ऊर्जा और ताकत देता है। इसे सुनिश्चित करने के लिए कि मां और शिशु दोनों स्वस्थ रहें, एक विविध और संतुलित आहार का पालन करना आवश्यक है।