हेलो बच्चों मैं आप लोगों के लिए छोटी कहानी ज्ञान लिखने जा रहा हूं। जिसे पढ़कर आपको बेहद पसंद आएगा , और इस छोटी सी ज्ञान की कहानी के माध्यम से आपको बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। अपने जीवन को सफल , कामयाब बनाने में काफी मदद मिलेगी। इस कहानी का मुख्य उद्देश्य हैं, कि बच्चों को शिक्षा प्रदान करना।
1. कछुआ और खरगोश की कहानी
एक दिन, जंगल में कछुआ और खरगोश के बीच दौड़ की प्रतियोगिता हुई। खरगोश अपनी तेज़ी पर गर्वित था और उसने कछुए का मजाक उड़ाया। वह दौड़ की शुरुआत में ही तेजी से भागा और कछुए को बहुत पीछे छोड़ दिया।खरगोश ने सोचा कि वह जीत सुनिश्चित है, इसलिए उसने रास्ते में आराम करने का फैसला किया और सो गया।
इस बीच, कछुआ धीरे-धीरे और लगातार चलता रहा, बिना रुके और बिना थके।जब खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ उसकी ओर बढ़ रहा है। वह तुरंत दौड़ने लगा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कछुआ पहले ही फिनिश लाइन पार कर चुका था।खरगोश को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसके घमंड और आराम ने उसे हार की ओर धकेल दिया।
कहानी से सीख:-
इस कहानी के माध्यम से लोगों को निरंतरता और धैर्य से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है। आत्म-गौरव और आत्म-विश्राम से नुकसान होता है, जबकि लगातार प्रयास से सफलता मिलती है।
2. कौआ और लोमड़ी की कहानी
एक बार की बात है, एक कौआ जंगल में उड़ते हुए एक रोटी का टुकड़ा लेकर एक ऊँचे पेड़ पर जा बैठा। उसी समय वहाँ से एक चालाक लोमड़ी गुजरी। उसने कौए की चोंच में रोटी का टुकड़ा देखा और उसे पाने की तरकीब सोची।लोमड़ी ने कौए की ओर देख कर मीठी आवाज में कहा, “कौआ भाई, तुम कितने सुंदर हो! तुम्हारे काले पंख तो बहुत ही चमकदार हैं। निश्चित रूप से तुम्हारी आवाज भी बहुत मीठी होगी। अगर तुम मुझे अपना मधुर गान सुनाओगे, तो मैं खुद को धन्य मानूंगी।”कौआ, लोमड़ी की बातों में आ गया और अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया। वह गाने के लिए जैसे ही कांव-कांव करने लगा, उसकी चोंच से रोटी का टुकड़ा नीचे गिर पड़ा। लोमड़ी ने तुरंत रोटी उठाई और मुस्कराते हुए बोली, “कौआ भाई, यह जान लो कि झूठी तारीफ करने वाले अक्सर अपना मतलब साधते हैं।”यह कहकर लोमड़ी रोटी लेकर चली गई, और कौआ अपने लालच और मूर्खता पर पछताने लगा।
कहानी से सीख: –
इस कहानी के माध्यम से लोगों को झूठी तारीफों में आकर हमें कभी भी अपना नुकसान नहीं करना चाहिए। बुद्धिमानी से काम लेना ही समझदारी है।
3. नन्हीं चींटी की कहानी
एक बार की बात है, एक नन्हीं चींटी अपने घर के पास एक बड़ा अनाज का दाना देखती है। दाना बहुत बड़ा था, लेकिन चींटी ने उसे उठाने का मन बना लिया। उसने अपनी पूरी ताकत लगाकर दाना उठाने की कोशिश की, लेकिन वह दाना बहुत भारी था और बार-बार गिर जाता था। चींटी निराश हुई, लेकिन उसने हार मानने का मन नहीं बनाया।वह बार-बार कोशिश करती रही, बार-बार गिरती और फिर से प्रयास करती। उसके छोटे-छोटे प्रयासों और अथक मेहनत के कारण, धीरे-धीरे वह दाना उठाने में सफल हो गई। अंततः, उसने दाने को अपने घर की ओर ले जाकर सुरक्षित रख दिया।चींटी की मेहनत और दृढ़ संकल्प ने साबित कर दिया कि अगर किसी चीज को पाने की सच्ची इच्छा हो और प्रयास किया जाए, तो कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है।
कहानी से सीख:-
इस कहानी के माध्यम से लोगों को मेहनत और लगन से बड़ी से बड़ी कठिनाई भी आसान हो सकती है।
4. एकता में बल की कहानी
एक बार की बात है, एक बूढ़ा किसान था जिसके चार बेटे थे। वे सभी आपस में हमेशा झगड़ते रहते थे। किसान अपने बेटों की इस आदत से बहुत परेशान था। उसने कई बार उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। किसान चिंतित था कि उसकी मृत्यु के बाद बेटे इस झगड़े के कारण बर्बाद हो जाएंगे।एक दिन किसान ने एक योजना बनाई। उसने अपने चारों बेटों को बुलाया और उन्हें लकड़ियों का एक गट्ठर दिखाया। फिर उसने अपने बेटों से कहा, “इस गट्ठर को तोड़ो।” बेटों ने कोशिश की, लेकिन लकड़ियों का गट्ठर बहुत मजबूत था, और कोई भी उसे तोड़ नहीं सका।इसके बाद किसान ने गट्ठर को खोल दिया और प्रत्येक बेटे को एक-एक लकड़ी दी। अब उन्होंने आसानी से लकड़ियों को तोड़ दिया। किसान ने कहा, “देखो, जब तुम सब साथ रहते हो, तो कोई तुम्हें नहीं तोड़ सकता। लेकिन अगर तुम अलग-अलग हो गए, तो तुम कमजोर हो जाओगे और आसानी से हार जाओगे।”बेटों ने किसान की बात समझ ली और आपस में मिलकर रहने का संकल्प लिया।
कहानी से सीख: –
इस कहानी के माध्यम से एकता में बल है। मिलजुलकर रहने से हम हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं, जबकि अलगाव हमें कमजोर बना देता है।
5. शेर और चूहा की कहानी
एक बार की बात है घने जंगल में एक शक्तिशाली शेर सो रहा था। अचानक, एक छोटा चूहा खेलते-खेलते शेर के ऊपर चढ़ गया। शेर की नींद खुली, और उसने चूहे को अपने पंजे में पकड़ लिया। चूहा डर के मारे कांपने लगा और शेर से दया की भीख मांगने लगा, “मुझे माफ कर दो, महाराज! मुझे जाने दो। एक दिन मैं आपकी मदद जरूर करूंगा।”शेर को चूहे की बात सुनकर हंसी आ गई। उसने सोचा, “तू, एक छोटा सा चूहा, मेरी मदद करेगा?” लेकिन उसकी मासूमियत पर दया कर शेर ने उसे छोड़ दिया।कुछ दिनों बाद, शेर एक शिकारी के जाल में फंस गया। वह जोर-जोर से दहाड़ने लगा, लेकिन जाल से खुद को छुड़ा नहीं पाया। शेर की दहाड़ सुनकर वही चूहा वहाँ आ पहुँचा। उसने तुरंत जाल के रस्सों को अपने तेज़ दांतों से काटना शुरू किया। थोड़ी ही देर में उसने शेर को आजाद कर दिया। शेर को तब एहसास हुआ कि कोई भी, चाहे कितना भी छोटा क्यों न हो, मददगार साबित हो सकता है।
कहानी से सीख:-
इस कहानी के माध्यम से छोटे-बड़े का फर्क नहीं होता। किसी की भी मदद अनमोल हो सकती है। अहंकार छोड़कर दूसरों की कद्र करनी चाहिए।
6. कौआ की कहानी
गर्मी का मौसम था, और एक कौआ बहुत प्यासा था। वह पानी की तलाश में इधर-उधर उड़ता रहा, लेकिन उसे कहीं पानी नहीं मिला। काफी देर उड़ने के बाद, उसे एक बगीचे में पानी से भरा हुआ एक घड़ा दिखाई दिया। कौआ तुरंत घड़े के पास पहुँचा, लेकिन घड़े में पानी बहुत कम था और उसकी चोंच पानी तक नहीं पहुँच पा रही थी।कौआ परेशान हो गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। वह सोचने लगा कि किस तरह वह पानी तक पहुँच सकता है। तभी उसे एक उपाय सूझा। उसने आसपास पड़े छोटे-छोटे कंकड़ उठाने शुरू किए और एक-एक करके उन्हें घड़े में डालने लगा।कौआ लगातार कंकड़ डालता रहा, और धीरे-धीरे घड़े में पानी ऊपर आने लगा। कुछ समय बाद पानी इतना ऊपर आ गया कि कौआ आसानी से उसे पी सका। इस तरह, अपनी सूझबूझ और धैर्य से कौए ने अपनी प्यास बुझाई।
कहानी से सीख: –
इस कहानी के माध्यम से मुश्किल परिस्थितियों में धैर्य और बुद्धिमानी से काम लिया जाए, तो कोई भी समस्या हल की जा सकती है। समझदारी और प्रयास से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।
7. दो मेंढक की कहानी
एक बार की बात है, दो मेंढक घूमते-घूमते एक गाँव के घर में रखी दूध की बाल्टी में गिर गए। बाल्टी गहरी थी, और वे दोनों बाहर निकलने की कोशिश करने लगे।पहले मेंढक ने कुछ देर तक हाथ-पैर मारे, लेकिन जल्दी ही निराश हो गया। उसने सोचा, “यहाँ से निकलना असंभव है,” और हार मानते हुए डूब गया।दूसरा मेंढक, हालांकि, हार मानने को तैयार नहीं था। वह लगातार हाथ-पैर मारता रहा और संघर्ष करता रहा। दूध की सतह को छूते हुए उसने सोचा, “अगर मैं इसी तरह संघर्ष करता रहा, तो शायद कोई रास्ता मिल जाए।” धीरे-धीरे, उसके पैरों की हलचल से दूध मंथन होकर मक्खन में बदलने लगा। आखिरकार मक्खन की सतह पर टिककर मेंढक बाल्टी से बाहर कूद गया और अपनी जान बचा ली।
कहानी से सीख: –
इस कहानी के माध्यम से लोगों को चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो, हमें हार नहीं माननी चाहिए। निरंतर प्रयास और संघर्ष से मुश्किल परिस्थितियों का हल निकल सकता है।
8. लकड़हारा की कहानी
एक बार एक गरीब लकड़हारा था, जो अपनी पुरानी कुल्हाड़ी से जंगल में पेड़ काटकर अपनी जीविका चलाता था। उसकी कुल्हाड़ी की धार समय के साथ कुंद हो गई थी, लेकिन उसने इसे ठीक कराने की बजाय लगातार उसी से काम करना जारी रखा।कुंद कुल्हाड़ी से लकड़हारे को पेड़ काटने में अधिक समय और मेहनत लगने लगी, परंतु वह फिर भी दिनभर मेहनत करता रहा, लेकिन काम धीमी गति से होता रहा। लकड़हारा इस बात से निराश था कि उसे इतना अधिक परिश्रम करने के बाद भी संतोषजनक परिणाम नहीं मिल रहे थे।एक दिन, उसके एक मित्र ने उसे सलाह दी, “तुम्हें कुल्हाड़ी की धार तेज करनी चाहिए। कुंद कुल्हाड़ी से तुम्हारी मेहनत बर्बाद हो रही है।” लकड़हारे ने मित्र की बात मानी और कुल्हाड़ी की धार तेज करवा ली। जब उसने धारदार कुल्हाड़ी से पेड़ काटना शुरू किया, तो उसका काम आधे समय में ही पूरा हो गया और मेहनत भी कम लगी।
कहानी से सीख:-
इस कहानी के माध्यम से लोगों को सही उपकरण और उचित योजना से काम को आसानी और दक्षता से पूरा किया जा सकता है। कुशलता के साथ मेहनत करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।
9. लोमड़ी और अंगूर की कहानी
एक बार एक भूखी लोमड़ी जंगल में भोजन की तलाश कर रही थी। चलते-चलते वह एक अंगूर की बेल के पास पहुँची, जहाँ बड़े-बड़े और रसीले अंगूर लटक रहे थे। लोमड़ी को अंगूर देखकर बहुत लालच आया, और उसने उन्हें खाने का निश्चय किया।अंगूर ऊँचाई पर थे, इसलिए लोमड़ी ने उछल-उछलकर उन्हें पाने की कोशिश की। उसने कई बार ऊँची छलांग लगाई, पर अंगूर उसकी पकड़ से बाहर थे। जितनी बार वह कूदती, उतनी ही बार वह असफल हो जाती।काफी देर तक प्रयास करने के बाद भी जब लोमड़ी अंगूर तक नहीं पहुँच पाई, तो वह थक गई। अंत में निराश होकर उसने सोचा, “ये अंगूर तो वैसे भी खट्टे होंगे। इन्हें खाकर क्या फायदा!” यह कहकर लोमड़ी वहाँ से चली गई।असल में, लोमड़ी अंगूरों को पाने में असमर्थ थी, इसलिए उसने अपनी असफलता को ढकने के लिए यह बहाना बनाया कि अंगूर खट्टे हैं।
कहानी से सीख:-
इस कहानी के माध्यम से किसी चीज को पाने में असफल होते हैं, तो अक्सर हम अपनी असफलता को सही ठहराने के लिए बहाने बना लेते हैं। हमें अपनी कमियों को स्वीकार करना चाहिए और सच्चाई का सामना करना चाहिए।
10. बाघ आया… बाघ आया….
एक गाँव में रोहित नामक चरवाहा रहता था, वह बहुत सारे बकरियां पाल रखा था। वह हर रोज बकरियों को चराने के लिए गाँव के पास पहाड़ी पर ले जाया करता था। वह अक्सर अकेले चराने जाता था इसलिए वह ऊब जाता था और अपना समय बिताने के लिए खेल करने के तरीके ढूंढता रहता था। एक दिन उसने मज़ाक करने की सोची। वह जोर से चिल्लाने लगा , “बाघ आया! बाघ आया!” उसकी आवाज़ सुनकर गाँवाले अपनी खेती-बाड़ी छोड़कर दौड़ते हुए पहाड़ी पर आ गए। जब वे वहाँ पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि कोई बाघ नहीं था और वह गांवाले को देखकर हंसने लगा। लोगों को समझ में आया कि लड़के ने उनके साथ मजाक किया है। वे गुस्से में वापस लौट गए।कुछ दिनों बाद लड़के ने फिर से वही मजाक किया, “बाघ आया! बाघ आया!” इस बार भी गाँव के लोग दौड़ते हुए आए, लेकिन फिर उन्हें कोई बाघ नहीं मिला। वे फिर से नाराज़ होकर लौट गए।कुछ दिन बाद सच में एक बाघ आया और बकरियों पर हमला करने लगा। वह घबरा गया और चिल्लाया, “बाघ आया! बाघ आया!” लेकिन इस बार गाँव वालों ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया। बाघ ने कई बकरियों को मार डाला, और वह पछताता रह गया।
कहानी से सीख:-
इस कहानी के माध्यम से कभी भी लोगों से झूठ नहीं बोलना चाहिए जिसे लोगों का विश्वास खो जाता है, और जब सच बोलते हैं, तब भी कोई विश्वास नहीं करता।
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निष्कर्ष-
उम्मीद हैं कि आप इस छोटी कहानी ज्ञान को पढ़कर माध्यम से अपने आप में आत्मनिर्भर बना रहना चाहिए।अपने आप पर अंहकार कभी नहीं करनी चाहिए। बुरे समय पर दोस्तों की मदद करनी चाहिए। भविष्य में आने वाले हर मुश्किलों का सामना करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।